धर्म ऐवम कर्म posted in Poetry on July 1, 2017 by Shailesh Vickram Singh SHARE Tweet धर्म “जो धारण किया जय, वो धर्म होता है। एक कर्म प्रधान व्यक्ति के लिए, कर्म ही उसका धर्म होता है अंतह कर्म ही धर्म है |”